नवजात शिशु की नाल साधारणतः पाँच से नौ दिनों के भीतर गिर पड़ती है । उसके बाद नाभि के ऊपर एक प्रकार कां घाव हो ' जाता है । इस घाव के सूखने में साधारणतः बारह से पन्द्रह दिनों का समय लगता है । यदि किसी कारण से नाभि का घाव नहीं सूखे और उस पर सूजन आ जाए , तो उसे नाभि की सूजन कहते हैं । साधारणतः माता के गन्दे हाथों के स्पर्श से , मेल - कुचेले कपड़े की पट्टी बाँधने के कारण या जोर से पट्टी बाँधने से नाभि पक जाती है ।
स्नान के बाद नाभि को गीली रखने से भी ऐसा हो सकता है । इसलिए जो भी वस्त्र नीिभ के सम्पर्क में आते हैं , वे यथासम्भव स्वच्छ होने चाहिए । नाभि को स्पर्श करने से पहले माता को अपने हाथ को भी अच्छी तरह धो लेना जरूरी है । नाभि पर सूजन आ जाने पर साधारण स्थिति में नाभि पर दिन में दो बार गरम - ठण्डा ( alternate compress ) का प्रयोग करने से सूजन चली जाती है । प्रत्येक बार एक मिनट गरम सेंक देने के बाद ही एक मिनट के लिये ठण्डे पानी की पट्टी का प्रयोग करना चाहिए और एक समय में तीन बार यह प्रयोग करना आवश्यक है ।
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